आँगनबाड़ी केन्द्रों, शालाओं, छात्रावासों और
आश्रमों में जो भोजन बच्चों को दिया जा रहा है वह कितना पोषक है यह जानने के बाद
शायद आप अपने बच्चों को मध्यान्ह भोजन लेने से मना कर दें । मध्यान्ह भोजन पकाने
के लिये जिन बर्तनों का उपयोग किया जाता है वे सब एल्यूमिनियम के बने होते हैं जो
आपके भोजन को कितना विषाक्त कर देते हैं इस हक़ीक़त से बेख़बर आपके बच्चे कई ऐसी
बीमारियों को आमंत्रित कर लेते हैं जिनका उपचार भी सम्भव नहीं है ।
यदि आपके बच्चे को स्मरण
शक्ति में कमी, मानसिक अवसाद, मुँह और जीभ में छाले, पेट दर्द, दमा, गुर्दे की
बीमारी, अपेण्डीसाइटिस, आँख की बीमारी या बारम्बार दस्त होने की शिकायत है तो
सम्भव है इसके पीछे एल्यूमिनियम के बर्तनों में बने भोजन के माध्यम से बच्चे के
शरीर में पहुँचा हुआ ज़हर एक कारण हो । इतना ही नहीं ऐसे बच्चों में आगे चलकर
मस्तिष्क की विकृति होकर अल्ज़ाइमर नामक असाध्य बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है
। एल्यूमिनियम के बर्तन नम हवा, पानी और तापमान के सम्पर्क में आते ही ऑक्साइड
बनाते हैं जो मनुष्य शरीर के लिये धीमे ज़हर की तरह काम करता है । भोजन पकाते समय
ही नहीं बल्कि पका हुआ या बिना पका भोज्य पदार्थ भी यदि एल्यूमिनियम के बर्तन में
रखा जाता है तो यह विष भोजन में घुल कर उसे विषाक्त बना देता है । दुर्भाग्य से
शादी पार्टियों में, सार्वजनिक रूप से खाना पकाने वालों, होटल्स आदि में भी
एल्यूमिनियम के बर्तनों का बहुलता से उपयोग किया जा रहा है जिसके कारण हम जाने-अनजाने
अपने शरीर में एल्यूमिनियम ऑक्साइड नामक विष एकत्र करते जा रहे हैं ।
आजकल पके हुए भोजन को एल्यूमिनियम के चमकीले
पत्रों ( फ़ोइल्स) में पैक कर रखने की प्रवृत्ति भी बढ़ती जा रही है । ऐसा भोजन भी
विषाक्त हो जाता है । एल्यूमिनियम का यह विष जब भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में
पहुँचता है और किसी कारण से शरीर इसे बाहर नहीं निकाल पाता तो यह शरीर की विभिन्न
कोशिकाओं में एकत्र होकर विकृति उत्पन्न करता है । एल्यूमिनियम का विष हमारी
रोगप्रतिरोध क्षमता और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है किंतु तंत्रिका तंत्र (नर्वस
सिस्टम) को सबसे अधिक क्षति पहुँचाता है जिसके कारण स्मृति लोप, अवसाद और अल्ज़ाइमर
जैसी बीमारियाँ होने की सम्भावनायें होती हैं ।
अमेरिका के हेल्थ एण्ड
ह्यूमन सर्विसेज विभाग की एक संस्था “एजेंसी फ़ॉर टॉक्ज़िक सब्स्टेंसेज़ एण्ड डिसीज़ेज
रज़िस्ट्री” ने कई सर्वेक्षणों और शोधों के पश्चात स्वास्थ्य के लिए घातक शीर्ष दो
सौ विषों की सूची में एल्यूमिनियम को रखा है ।
यूनियन ऑफ़ कंसंर्ड
साइंटिस्ट्स के माइकल ब्रोअर और वार्न लिओन के अनुसार आस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट फ़ॉर
बायो-मेडिकल रिसर्च के एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि एल्यूमिनियम सल्फ़ेट
उपचारित टेप वाटर मात्र के उपयोग से ही लगभग सत्तर-अस्सी साल की उम्र तक आते-आते
हमारे मस्तिष्क में एक माइक्रोग्राम की मात्रा में एल्यूमिनियम का विष एकत्र हो
जाता है । मस्तिष्क की कोशिकाओं में इस विष के कारण अल्ज़ाइमर्स रोग उत्पन्न हो
सकता है ।
कील यूनीवर्सिटी में इनऑर्गेनिक कैमिस्ट्री के
प्रोफ़ेसर एक्स्ले पिछले 25 वर्षॉं से भी अधिक समय से एल्यूमिनियम टॉक्ज़ीसिटी पर
शोध कर रहे हैं । उनके अनुसार एल्यूमिनियम का विष अल्ज़ाइमर्स रोग के साथ-साथ
पार्किंसन एवं मल्टीपल स्क्लेरोसिस की उत्पत्ति में भी सहयोगी हो सकता है ।
जनता को अपने स्वास्थ्य के
लिए स्वयं ही जागरूक होना होगा । एल्यूमिनियम के बर्तनों में पकाया हुआ या रखा गया
या पैक किया हुआ भोजन आपके लिये विषाक्त है इसलिए लोगों को चाहिये कि अपने किचन से
इन बर्तनों को निकाल कर बाहर करें और सार्वजनिक भोजन बनाने वाली उन संस्थाओं का भी
बहिष्कार करें जो एल्यूमिनियम के बर्तनों में भोजन पकाती हैं । इतना ही नहीं सरकार
को भी चाहिये कि शासकीय संस्थाओं में एल्यूमिनियम के बर्तनों के प्रयोग को
प्रतिबन्धित करे और सार्वजनिक क्षेत्र की निजी संस्थाओं पर अंकुश रखने के लिए एक
कानून बना कर भोजन के लिए एल्यूमिनियम के बर्तनों के प्रयोग को अपराध घोषित करे ।